Saturday, December 18, 2010

कबि न होउं नहीं चतुर कहावउं ! मति अनुरूप राम गुन गावउं !!

सीयराम मय सब जग जानि !  करहुँ प्रणाम जोर जुग पानि !!

लखी जिन लाल की मुष्कान 

सुमिर पवन सुत पावन नामु ! अपने बस करि राखे रामु !!
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे-हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे-हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे-हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
कबि न होउं नहीं चतुर कहावउं ! मति अनुरूप राम गुन गावउं !!
मेंने पूछा भक्तों से कि देखा है कहीं ..ऐसे भगवान सा हँसी...गोपीजन वल्लभ सा हँसी ...
पार्थसारथि सा हँसी...भक्तों ने कहा हमें भक्ति की सपथ नहीं..नहीं नहीं  !!!
मेंने पूछा जगत में कि देखा है कहीं...गौर प्रेम सा कहीं ...मीरा भाव सा कहीं ..सूर अनुराग सा कहीं जगत ने कहा..सब सुन्दरता की कसम नहीं-नहीं-नहीं !!!  
श्री राधे श्याम- हरे कृष्ण हरे राम -श्री सीता राम -"भवानी शंकरौ वन्दे-श्रृद्धा विश्वास रुपिणौ "....
मित्रजन, भगवान के नाम लीला कथा रहस्य अत्यंत कृपा-कल्याण कारी  हैं ..भक्त-संत आज्ञा कर गए हैं कि  भगवान के चरित्र बड़े ही भाव-श्रृद्धा-विश्वास के साथ श्रवण करने चाहिए ..
यथा गोस्वामी जी श्री राम चरित मानस में लिखे हैं  

"उमा राम गुण गूढ़ पंडित मुनि पावहीं बिरति-पावहीं मोह बिमूढ़ जे हरि बिमुख न धर्म रति"
..अर्थार्त..पंडित-मुनि भगवद चरित्रों को सुन-समझ कर वैराग्य प्राप्त करते हैं जबकि..जिनका मन 
श्री राम में नहीं है वो महामूर्ख  चरित्र सुनकर मोह को प्राप्त होते हैं.!

जय-जय सीताराम - श्रीराधे-राधेश्याम
मित्रो जगत में सदैव सद-बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि सद-विचारों से उन्नति-समृद्धि होती है एवं दुर्बुद्धि से हमेशा पतन-दुःख प्राप्त होते हैं -यद्धपि प्रत्येक मनुष्य में सद-बुद्धि(सुमति) एवं कुबुद्धि(कुमति) समान रूप से विद्यमान रहती है- 
गोस्वामी तुलसी दास जी  राम-चरित-मानस में वर्णन कर रहे हैं-
"सुमति-कुमति सबके उर रहहीं-नाथ पुराण-निगम अस कहहीं
जहाँ सुमति तहां सम्पति नाना-जहाँ कुमति तहां विपति निदाना"
अतः..हमें भगवद चरनाश्रय ग्रहण कर समर्पित भाव से सुविचार शील हो-जगत में जीवन यापन करना चाहिए-कृपया ध्यान रखें भगवान शंकर एवं भगवान विष्णु की निंदा करना तो दूर सुनना भी गौ-हत्या के समान पाप है.. 
"हरि-हर निंदा सुनहिं जे काना- होई पाप गो घात समाना " 
प्रेम से गायें
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे-हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे